Wednesday, July 31, 2013

Erick : the beloved dog

११ जुलाइ को मेरा प्यारा सा डॉगी एरिक खतम हो गया तब से अब तक मे यकीन नहीं कर पा रही हु की ऐसा असल मे हो गया है। करीब डेढ़ साल पहले अपने करियर के लिये मे जर्मनी आ गयी। और वो मेरे पापा और दीदी के साथ घर पर ही छूट गया। ९ जुलाइ को अचानक उसे बुखार आ गया और फिर उसने जीने के लिये मौत से काफी बहादुरी से लड़ाई की, पर होनी ही जीत गयी।
२१ दिन का था वो जब हम सभी बहने उसे अपने घर लाये थे। मेरी हथेलियो से भी छोटा था वो, और फिर देखते ही देखते हमारे मोहल्ले की जान हो गया वो!
वही एक था जो मंदिर जाता था, मिठाई बहुत पसंद थी उसे और पापा के ब्रैन हेमरेज के बाद वही था जिसके लिये पापा खुद चलकर मंदिर जाना चाहते थे। लोग कहते है कुत्ता नहीं पालना चाहिये क्योंकि वो मर जाता है तो बड़ा दुख होता है। दुख तो हम लोगो को भी हुआ पर मैं सोचती हु। जीवन मृत्यु एक बात है पर कुत्ते आदमी से भी ज्यादा वफादार होते है। इस कारण एरिक हमारे यादो मे सुरक्षित रहेगा और हमारे घर मे एक नया डॉग आयेगा।
मैं अभी भी सोचती हु की मे जब घर जाउगी तो खुशी से दौड़ता हुआ पूरे मोहल्ले का चक्कर कौन लगायेगा? खैर नयी यादें बन जाएंगी। देखते है भविष्य के गर्भ मे क्या है?
नमस्कार!
अपने नये ब्लॉग मे मैं आपका स्वागत करती हू। मैं बहुत दिनो से अपने जर्मनी के अनुभवो, खाना पकाने, घर सजाने और बाकी सारी हॉबीस के उपर एक ब्लॉग लिखना चाहती थी। आज मे ये काम आराम से कर सकती हू। मेरी जिंदगी मेरे परिवार, दोस्तो और हमारे प्यारे से पप के इर्द गिर्द घूमती है।
यही सब मेरे ब्लॉग का मेन टॉपिक रहेंगे। मुझे इंग्लीश और जर्मन भाषाये भी अच्छी तरह आती है, मे कोशिश करूँगी की मे यहा कुछ प्रोफेशनल टिप्स भी दे सकु।
खैर अभी के लिये बहुत बहुत शुक्रिया! फिर मिलेंगे।